14. कांग्रेस प्रणालीः चुनौतियाँ व पुर्नस्थापना (B-2)

🔥 राजनीति विज्ञान कक्षा 12 नोट्स अध्याय 5 कांग्रेस प्रणालीः चुनौतियाँ व पुर्नस्थापना 🔥

✳️ राजनैतिक उत्तराधिकार की चुनौती :-

🔹  1964 के मई में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई ।

🔹 1960 के  दशक को खतरनाक दशक कहा जाता है । गरीबी , गैर बराबरी , सांप्रदायिक , क्षेत्रीय विभाजन ।

🔹 कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के० कामराज थे ।

🔹 जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे । 

🔹 शास्त्री जी का 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन हो गया ।

🔹 उस समय भारत चीन युद्ध का नुकसान , आर्थिक संकट , सूखा , मानसून की असफलता पाक से युद्ध जैसी घटनाओं से भारत गुजर रहा था ।

✳️ शास्त्री जी के बाद इंदिरा गांधी जी :-

🔹  शास्त्री जी की मृत्यु के बाद मोरारजी देसाई व इंदिरा गांधी के मध्य राजनैतिक उत्तराधिकारी के लिये संघर्ष हुआ व इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया गया । 

🔹 सिंडिकेट ने इंदिरा गाँधी को अनुभवहीन होने के बावजूद प्रधानमंत्री बनाने में समर्थन दिया , यह मान कर वे दिशा निर्देशन के लिये सिंडीकेट पर निर्भर रहेंगी । नेतृत्व के लिये प्रतिस्पर्धा के बावजूद पार्टी में सत्ता का हस्तांतरण बड़े शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया ।

✳️ गैर कांग्रेस वाद :-

🔹 जो दल अपने कार्यक्रम व विचारधाराओं के धरातल पर एक दूसरे से अलग थे , एकजुट हुये तथा उन्होंने सीटों के मामले में चुनावी तालमेल करते हुये एक कांग्रेस विरोधी मोर्चा बनाया । समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने इस रणनीति को गैर - कांग्रेसवाद का नाम दिया ।

✳️ चौथा आम चुनाव 1967 :-

🔹  मानसून की असफलता , व्यापक सूखा , विदेशी मुद्रा भंडार में कमी , निर्यात में गिरावट तथा सैन्य खर्चे में बढ़ोत्तरी से देश में आर्थिक संकट की स्थिति । 

🔹 विपक्षी दलों ने जनता को लामबंद करना शुरू कर दिया ऐसी स्थिति में अनुभवहीन प्रधानमंत्री का चुनावों का सामना करना भी एक बड़ी चुनौती थी । चुनावों के नतीजों को राजनैतिक भूकम्प का संज्ञा दी गयी । 

🔹 कांग्रेस 9 राज्यों ( उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , पंजाब , हरियाणा , बिहार , पं . बंगाल , उड़ीसा , मद्रास व केरल ) में सरकार नहीं बना सकी । ये राज्य भारत के किसी एक भाग में स्थित नहीं थे ।

🔹 तमिलनाडु में पहली बार एक क्षेत्रीय पार्टी को बहुमत मिला DMK ने सरकार बनाई ।

🔹 इस पार्टी ने हिंदी का राजभाषा के रूप में विरोध किया और इस पार्टी ने सरकार बनाई ।

✳️ गठबंधन :-

🔹 1967 के चुनावों से गठबंधन की घटना सामने आई । पार्टियों को बहुमत नही मिला । अनेक गैर कांग्रेसी सरकारों ने मिलकर सयुक्त विधायक दल बनाया ।

🔹 गठबंधन में अलग - अलग विचारधाराओ की पार्टी शामिल हुई ।

🔹 बिहार - समाजवादी + पी सी पी पार्टी शामिल ।

✳️ दल बदल :-

🔹जब कोई जन प्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न पर चुनाव जीत जाये व चुनाव जीतने के बाद उस दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो जाये तो इसे दल - बदल कहते हैं । 1967 के चुनावों के बाद काग्रेस के एक विधायक ( हरियाणा ) गयालाल ने एक पखवाड़े में तीन बार पार्टी बदली , उनके ही नाम पर ' आयाराम - गयाराम ' का जुमला बना । यह जुमला दल बदल की अवधारणा से संबंधित हैं । कांग्रेस के भीतर प्रभावशाली व ताकतवर नेताओं के समूह को अनौपचारिक तौर पर सिंडिकेट कहा जाता था । इस समूह के नेताओं का पार्टी के संगठन पर नियंत्रण था ।

✳️ कांग्रेस का विभाजन : - 

🔹 सिंडीकेट व इंदिरा गांधी के मध्य बढ़ते मतभेद व राष्ट्रपति चुनाव ( 1969 ) में इंदिरा गांधी समर्थित उम्मीदवार वी . वी . गिरी की जीत व कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार एन . सजीव रेड्डी की हार से कांग्रेस को 1969 में कांग्रेस को विभाजन की चुनौती झेलनी पड़ी ।

🔹 कांग्रेस ( आर्गेनाइजेशन ) व कांग्रेस ( रिक्विजिनिस्ट ) में विभाजित हो गयी ।

✳️  निष्कर्ष :-

🔹 1971 के चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने जनाधार की खोयी हुयी जमीन को पुनः प्राप्त करते हुये , गरीबी हटाओ के नारे से कांग्रेस को एक बार पुनः स्थापित कर दिया ।

✳️ सिंडिकेट के नेता                 ✳️ राज्य

👉 के . कामराज                             मद्रास
( Mid day Meal शुरू कराने के लिये प्रसिद्ध )

👉 एस . के . पाटिल                       बम्बई ( मुंबई ) शहर

👉  के . एस . निज लिंगप्पा             मैसूर ( कर्नाटक )

👉 एन . सजीव रेड्डी                       आंध्र प्रदेश

👉 अतुल्य घोष                            पश्चिम बंगाल

✳️ 1969 का राष्ट्रपति चुनाव :-

🔹  डा . जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद , सिंडिकेट ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष एन . संजीव रेड्डी को कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया ।

🔹 इंदिरा गांधी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी . वी . गिरि को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के लिये नामांकन भरवा दिया । इंदिरागांधी ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने के लिये कहा , वी . वी . गिरी चुनाव जीत गये ।

🔹 1969 में राष्ट्रपति पद के चुनावों के बाद कांग्रेस का विभाजन हो गया ।

✳️ Congress का विभाजन :-

👉 Cong ' O ' ( सिंडिकेट समर्थित ग्रुप )
👉 Cong . ( R ) ( इंदिरा गांधी समर्थित ग्रुप )

🔹 देसी रियासतों का विलय भारतीय संघ में करने से पहले सरकार ने रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी संपदा रखने का अधिकार दिया तथा सरकार की तरफ से कुछ विशेष भत्ते देने का भी आवश्वासन दिया ।

🔹 यह दोनों ( निजी संपदा व भत्ते ) इस बात को आधार मान कर तय की जायेगी कि उस रियासत का विस्तार , राजस्व व क्षमता कितनी है । इस व्यवस्था को प्रिवी पर्स कहा गया ) इंदिरा गांधी ने 1967 के चुनावों की खोई जमीन प्राप्त करने के लिये दस सूत्रीय कार्यक्रम अपनाये इसमें बैंको का राष्ट्रीयकरण , खाद्यान्न का सरकारी वितरण , भूमि सुधार आदि शामिल थे ।

🔹 1971 के चुनावों में गैर - साम्यवादी तथा गैर - कांग्रेसी विपक्षी पार्टियों ने चुनावी गठबंधन " ग्रैंड अलायंस " बनाया ।

🔹 इंदिरा गांधी ने सकारात्मक कार्यक्रम रखा व गरीबी हटाओ का नारा दिया । ग्रैंड अलायंस ने ' इंदिरा हटाओ ' का नारा दिया । इंदिरा गांधी ने प्रिसी पर्स की समाप्ति पर चुनाव अभियान में जोर दिया ।

✳️ चुनाव परिणाम :-

👉 कांग्रेस ' आर ' व सी . पी . आई - 375 सीट
👉 गठबंधन                               - 352  कांग्रेस R + 23
👉 कप्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस             - 16 सीट
👉 ग्रैंड अलायंस                          - 40 से भी कम सीट

✳️ कांग्रेस प्रणाली का पुर्नस्थापन :-

🔹 अब कांग्रेस पूर्णतया अपने सर्वोच्च नेता की लोकप्रियता पर अधारित थी । कांग्रेस अब विभिन्न मतों व हितो को एक साथ लेकर चलने वाली पार्टी नहीं थी ।

🔹 यह कुछ सामाजिक वर्गो जैसे गरीब , महिला , दलित , आदिवासी व अल्पसंख्यकों पर निर्भर थी ।

🔹 इंदिरा गांधी ने कांग्रेस को पुर्नस्थापित तो कर दिया परन्तु कांग्रेस प्रणाली की प्रकृति को बदलकर । पार्टी का सांगठनिक ढाँचा भी अपेक्षाकृत कमजोर था ।

🔹  Politics of Garibi Hatao - ' गरीबी हटाओ ' का नारा तथा इससे जुड़ा कार्यक्रम इंदिरा गांधी की राजनैतिक रणनीति थी । इसके सहारे वे अपने लिये देशव्यापी राजनीतिक सर्मथन की बुनियाद तैयार करना चाहती थी ।

🔹 इससे इंदिरा गांधी ने वंचित तबको खासकर भूमिहीन किसान , दलित और आदिवासी , अल्पसंख्यक , महिला और बेरोजगार नौजवानों के बीच अपने सर्मथन का आधार तैयार करने की कोशिश की । परिणाम स्वरूप 1971 के चुनावों में पूर्णबहुमत प्राप्त किया ।