3. समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व (B-1)

✳️ अमेरिका द्वारा ' नई विश्व व्यवस्था ' की शुरुआत :-

🔹  1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीत - युद्ध का अंत हो गया तथा अमेरिकी वर्चस्व की स्थापना के साथ विश्व राजनीति का स्वरूप एक - ध्रुवीय हो गया । 

🔹 अगस्त 1990 में इराक ने अपने पड़ोसी देश कुवैत पर कब्जा कर लिया ।  संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस विवाद के समाधान के लिए अमरीका को इराक के विरूद्ध सैन्य बल प्रयोग की अनुमति दे दी । संयुक्त राष्ट्र संघ का यह नाटकीय फैसला था । अमेरिका राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इसे नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी ।

✳️ अमरीकी वर्चस्व की शुरुआत :-

🔹  अमरीकी वर्चस्व की शुरुआत 1991 में हुई जब एक ताकत के रूप में सोवियत संघ अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य से गायब हो गया | इस स्थिति में अमरीकी वर्चस्व सार्वव्यापी मान्य हो गया | अन्यथा अमरीकी वर्चस्व 1945 से ही अंतर्राष्ट्रीय पटल पर विद्यमान था । 

✳️ प्रथम खाड़ी युद्ध :-

🔹  अमरीका के नेतृत्व में 34 देशों की मिलीजुली और 660000 सैनिकों की भारी - भरकम फौज ने इराक के विरुद्ध मोर्चा खोला और उसे परास्त कर दिया । इसे प्रथम खाड़ी युद्ध कहा जाता है । 

✳️ ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म :-

🔹  1990 के अगस्त में इराक ने कुवैत पर हमला किया और बड़ी तेजी से उस पर कब्ज़ा जमा लिया । इराक को समझाने - बुझाने की तमाम राजनयिक कोशिशें जब नाकाम रहीं तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल - प्रयोग की अनुमति दे दी । संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस सैन्य अभियान को ' ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म ' कहा जाता है ।

🔹  एक अमरीकी जनरल नार्मन श्वार्जकॉव इस सैन्य - अभियान के प्रमुख थे और 34 देशों की इस मिली जुली सेना में 75 प्रतिशत सैनिक अमरीका के ही थे । हालाँकि इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का ऐलान था कि यह ' सौ जंगों की एक जंग ' साबित होगा लेकिन इराकी सेना जल्दी ही हार गई और उसे कुवैत से हटने पर मजबूर होना पड़ा ।

✳️  कंप्यूटर युद्ध :-

🔹 खाड़ी युद्ध के दौरान अमरीका की सैन्य क्षमता अन्य देशो की तुलना में कही अधिक थी | प्रौद्योगिकी के मामले में अमेरिका अन्य देशों से काफी आगे निकल गया है | बड़े विज्ञापनी अंदाज में अमरीका ने इस युद्ध में तथाकथित ' स्मार्ट बमों का प्रयोग किया । इसके चलते कुछ पर्यवेक्षकों ने इसे ' कंप्यूटर युद्ध की संज्ञा दी । इस युद्ध की टेलीविजन पर व्यापक कवरेज हुई और यह एक वीडियो गेम वार ' में तब्दील हो गया ।

✳️ जार्ज वुश के बाद कौन राष्ट्रपति बने :-

🔹 प्रथम खाड़ी युद्ध के बाद 1992 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए बिल क्लिंटन नए राष्ट्रपति बने ( 1992 ) और 1996 में द्वावारा । इन्होंने घरेलू मामलो पर ज्यादा ध्यान दिया जैसे :- ( लोकतंत्र को बढ़ावा , जलवायु परिवर्तन , व्यापर ) ।


✳️ 11 सितम्बर ( 9/11 ) की घटना :-

🔹  11 सितंबर 2001 के दिन विभिन्न अरब देशों के 19 अपहरणकर्ताओं ने उड़ान भरने के चंद मिनटों बाद चार अमरीकी व्यावसायिक विमानों पर कब्ज़ा कर लिया । अपहरणकर्ता इन विमानों को अमरीका की महत्त्वपूर्ण इमारतों की सीध में उड़ाकर ले गये । दो विमान न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराए । तीसरा विमान वर्जिनिया के अर्लिंगटन स्थित ' पेंटागन ' से टकराया । 

🔹 ' पेंटागन ' में अमरीकी रक्षा - विभाग का मुख्यालय है । चौथे विमान को अमरीकी कांग्रेस की मुख्य इमारत से टकराना था लेकिन वह पेन्सिलवेनिया के एक खेत में गिर गया । इस हमले को ' 9 / 11' कहा जाता है ।

🔹 9 / 11 की घटना का परिणाम :-

🔹 इस घटना से पूरा विश्व हिल सा गया | अमरीकियों के लिए यह दिल दहला देने वाला घटना था । 

🔹 इस हमले में लगभग तिस हजार व्यक्ति मारे गये । 

🔹  9 / 11 के जबाब अमरीका ने फौरी कदम उठाये और भयंकर कार्रवाई की । 

🔹 ' आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के अंग के रूप में अमरीका ने ' ऑपरेशन एन्डयूरिंग प्रफीडम ' चलाया । 

🔹  यह अभियान उन सभी के खिलाफ चला जिन पर 9 / 11 का शक था । इस अभियान में मुख्य निशाना अल - कायदा और अपफगानिस्तान के तालिबान - शासन को बनाया गया । 

✳️ 9 / 11 के बाद अमरीका द्वारा बनाए गए बंदी :-

🔹  अमरीकी सेना ने पूरे विश्व में गिरफ्तारियाँ कीं । अक्सर गिरफ्तार लोगों के बारे में उनकी सरकार को जानकारी नहीं दी गई । गिरफ्तार लोगों को अलग - अलग देशों में भेजा गया और उन्हें खुपिफया जेलखानों में रखा गया । क्यूबा के निकट अमरीकी नौसेना का एक ठिकाना ग्वांतानामो बे में है । कुछ बंदियों को वहाँ रखा गया । इस जगह रखे गए बंदियों को न तो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की सुरक्षा प्राप्त है और न ही अपने देश या अमरीका के कानूनों की । संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतिनिधियों तक को इन बंदियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई । 

✳️ इराक आक्रमण :-

🔹 ऑपरेशन इराकी फ्रीडम ' 19 मार्च 2003 को अमेरिका द्वारा शुरू किया गया था और चालीस से अधिक अन्य देशों द्वारा इसमें शामिल किया गया था । 

🔹  आक्रमण का उद्देश्य इराक को हथियारों के सामूहिक विनाश ( WMD ) के विकास से रोकना था । 

🔹  जैसा कि डब्लूएमडी का कोई सबूत नहीं था , यह अनुमान लगाया जाता है कि आक्रमण अन्य उद्देश्यों जैसे कि इराकी तेल उत्पादन को नियंत्रित करने आदि से प्रेरित था । 

🔹 इराक पर अमेरिकी आक्रमण सैन्य और राजनीतिक दोनों तरह की विफलता थी क्योंकि लगभग 3000 अमेरिकी सैन्य कर्मी खो गए थे और इराकी हताहत हुए थे ।

✳️ ऑपरेशन इराकी फ्रीडम :-

🔹  2003 के 19 मार्च को अमरीका ने ' ऑपरेशन इराकी प्रफीडम ' के कुटनाम से इराक पर सैन्य - हमला किया । अमरीकी अगुआई वाले ' कॉअलिशन ऑव वीलिंग्स आकांक्षियों के महाजोट ) ' में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए । संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इराक पर इस हमले की अनुमति नहीं दी थी ।

✳️ अमरीका इतना ताकतवर क्यों है ? इसके महाशक्ति होने के कारण :-

🔹 बढ़ी - चढ़ी सैन्य शक्ति के कारण महाशक्ति ।

🔹 सैन्य प्रोधोगिकी ।

🔹 दुनिया के 12 ताकतवर देशो में से अकेला अमेरिका ही रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है ।

🔹 पेंटागन अपनी रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैन्य तकनीक तथा अनुसधान पर खर्च करता है ।

🔹 हथियार आधुनिक है तथा गुणात्मक रूप से दुनिया मे सबसे ज्यादा अच्छे है ।

🔹 दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति ।

🔹 VETO POWER भी है ।

✳️ अमरीकी वर्चस्व की सबसे बड़ी बाधा :-

🔹 अमरीकी वर्चस्व को लगाम लगाने में ये तीन चीजें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है । 

👉 संस्थागत बनावट : पहला व्यवधान स्वयं अमरीका की संस्थागत बनावट है । यहाँ शासन के तीन अंगों के बीच शक्ति का बँटवारा है और यही बनावट कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति के बेलगाम इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम करती है । 

👉  अमरीकी समाज : अमरीकी समाज जो अमरीका के विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश रखने में यह बात बड़ी कारगर भूमिका निभाती है ।

👉  नाटो : अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो संभवतया अमरीकी ताकत पर लगाम कस सकता है और इस संगठन का नाम है ' नाटो ' अर्थात् उत्तर अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन । 

✳️ अमेरिकी वर्चस्व से बचने के उपाय :-

🔹  बैंडवेगन नीति - इसका अर्थ है वर्चस्वजनित अवसरों का लाभ उठाते हुए विकास करना । अपने को छिपा लेने की नीति ताकि वर्चस्व वाले देशों की नजर न पड़े । राज्येत्तर संस्थाएँ जैसे स्वयंसेवी संगठन , कलाकार और बुद्धिजीवी मिलकर अमेरिका वर्चस्व का प्रतिकार करें । 

🔹 भारत , चीन , रूस साथ हो जाए तो अमेरिकी वर्चस्व से बचा जा सकता है ।

🔹 कोई देश आपने आप को अमेरिकी नजर से छुपा ले ।

🔹 यदि राज्येतर संस्थाएँ , NGO , सामाजिक आंदोलन , मीडिया , जनता , बुद्धिजीवी , कलाकार , लेखक , सभी मिलकर अमरीकी वर्चस्व का प्रतिरोध करे ।

✳️ भारत अमेरिकी संबंध :-

🔹 शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत द्वारा उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति अपनाने के कारण महत्वपूर्ण हो गए है । भारत अब अमेरिका की विदेश नीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसके प्रमुख लक्षण परिलक्षित हो रहे है ।

🔹  अमेरिका आज भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार । अमेरिका के विभिन्न राष्ट्रध्यक्षों द्वारा का भारत से संबंध प्रगाढ़ करने हेतु भारत की यात्रा । 

🔹 अमेरिका में बसे अनिवासी भारतीयों खासकर सिलिकॉन वैली में प्रभाव । सामरिक महत्व के भारत अमेरिकी असैन्य परमाणु समझौते का सम्पन्न होना । 

🔹 बराक ओबामा की 2015 की भारत यात्रा के दौरान रक्षा सौदों से संबंधित समझौतों का नवीनीकरण किया गया तथा कई क्षेत्रों में भारत को ऋण प्रदान करने की घोषणा की गयी ।

🔹  वर्तमान अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आउटोंसिंग संबंधी नीति से भारत व्यापारिक हित प्रभावित होने की संभावना है । 

🔹 वर्तमान में विभिन्न वैश्विक मंचों पर अमेरिका राष्ट्रपति तथा भारतीय प्रधानमंत्री के बीच हुई मुलाकातों तथा वार्ताओं को दोनों देशों के मध्य अर्थिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक तथा सैन्य संबधों के सृदृढ़ीकरण की दिशा में सकारात्मक सन्दर्भ के रूप में देखा जा सकता है ।