2. दो ध्रुवीयता का अंत (B-1)
✳️ सोवियत संघ का जन्म ( U . S . S . R . ) :-
🔹 1917 की रूसी बोल्शेविक क्रांति के बाद समाजवादी सोवियत गणराज्य संघ ( U . S . S . R . ) अस्तित्व में आया ।
✳️ सोवियत प्रणाली :-
🔹 सोवियत संघ में समतावादी समाज के निर्माण के लिए केंद्रीकृत योजना , राज्य के नियंत्रण पर आधारित और साम्यवदी दल द्वारा निर्देशित व्यवस्था सोवियत प्रणाली कहलायगी ।
✳️ सोवियत प्रणाली की विशेषताएँ :-
🔹 सोवियत प्रणाली पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध तथा समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित थी ।
🔹 सोवियत प्रणाली में नियोजित अर्थव्यवस्था थी ।
🔹 कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा था ।
🔹 न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा बेरोजगारी न होना ।
🔹 उन्नत संचार प्रणाली थी ।
🔹 मिल्कियत का प्रमुख रूप राज्य का स्वामित्व ।
🔹 उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण था ।
✳️ दूसरी दुनिया के देश :-
🔹 पूर्वी यूरोप के देशों को समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया था , इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहा गया ।
✳️ मिखाइल गोर्बाचेव :-
🔹 1980 के दशक में मिखाइल गोर्बाचेव ने राजनीतिक सुधारों तथा लोकतांत्रीकरण को अपनाया उन्होंने पुर्नरचना । ( पेरेस्त्रोइका ) व खुलापन ( ग्लासनोस्त ) के नाम से आर्थिक सुधार लागू किए )
✳️ सोवियत संघ समाप्ति की घोषणा :-
🔹 1991 में बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में पूर्वी यूरोप के देशों ने तथा रूस , यूक्रेन व बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की । CIS ( स्वतन्त्र राज्यों का राष्ट्रकुल ) बना 15 नए देशों का उदय ।
✳️ सोवियत संघ में कम्युनिस्ट शासन की कमियाँ :-
🔹 सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यह पार्टी अब जनता के जवाबदेह नहीं रह गई थी । इसकी निम्नलिखित कमियाँ थी |
🔹 ( i ) कम्युनिस्ट शासन में सोवियत संघ प्रशासनिक और राजनितिक रूप से गतिरुद्ध हो चूका था ।
🔹 ( ii ) भारी भ्रष्टाचार व्याप्त था और गलतियों को सुधारने में शासन व्यवस्था अक्षम थी ।
🔹 ( iii ) विशाल देश में केन्द्रीयकृत शासन प्रणाली थी ।
🔹 ( iv ) सत्ता का जनाधार खिसकता जा रहा था | कम्युनिष्ट पार्टी में कुछ तानाशाह प्रकृति के नेता भी थे जिनकों जनता से कोई सरोकार नहीं था ।
🔹 ( v ) ' पार्टी के अधिकारीयों को आम नागरिक से ज्यादा विशेषाधिकार मिले हुए थे ।
✳️ स्वतंत्र राज्यों सोवियत संघ के विघटन के कारण :-
🔹 नागरिकों की राजनीतिक और आर्थिक आंकाक्षाओं को पूरा न कर पाना ।
🔹 सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा ।
🔹 कम्यूनिस्ट पार्टी का बुरा शासन ।
🔹 सोवियत संध में अपना पैसा और संसाधन पूर्वी यूरोप में अधिक लगाया ताकि वह उनके नियंत्रण में बने रहे ।
🔹 लोगो को गलत जानकारी देना की सोवियत संघ विकास कर था है ।
🔹 संसाधनों का अधिकतम उपयोग परमाणु हथियारों पर करना ।
🔹 प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में पश्चिम के मुकाबले पीछे रहना ।
🔹 रूस की प्रमुखता ।
🔹गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधारों का विरोध होना ।
🔹 अर्थव्यवस्था गतिरूद्ध व उपभोक्ता वस्तुओं की कमी ।
🔹 राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उभार ।
🔹 सोवियत प्रणाली का सत्तावादी होना पार्टी का जनता के प्रति जवाबदेह ना होना ।
✳️ सोवियत संघ के विघटन के परिणाम :-
🔹 शीतयुद्ध का संघर्ष समाप्त हो गया । दूसरी दुनिया का पतन ।
🔹 एक ध्रुवीय विश्व अर्थात् अमरीकी वर्चस्व का उदय ।
🔹 हथियारों की होड़ की समाप्ति सोवियत खेमे का अंत और 15 नए देशों का उदय ।
🔹 विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्था ताकतवर देशो की सलाहकार बन गई ।
🔹 रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना ।
🔹 विश्व राजनीति में शक्ति संबंध परिवर्तित हो गए ।
🔹 समाजवादी विचारधारा पर प्रश्नचिन्ह या पूँजीवादी उदारवादी व्यवस्था का वर्चस्व ।
🔹 शॉक थेरेपी को अपनाया गया ।
🔹 उदारवादी लोकतंत्र का महत्व बढा ।
✳️ हथियारों की होड़ की कीमत :-
🔹 सोवियत संघ ने हथियारों की होड़ में अमरीका को कड़ी टक्कर दी परन्तु प्रोद्योगिकी और बुनियादी ढाँचे के मामले में वह पश्चिमी देशों से पिछड़ गया ।
🔹 उत्पादकता और गुणवता के मामले में वह पश्चिम के देशों से बहुत पीछे छूट गया ।
✳️ शॉक थेरेपी : -
🔹 शॉक थेरेपी शाब्दिक अर्थ है आघात पहुँचाकर उपचार करना । साम्यवाद के पतन के बाद सोवियत संघ के गणराज्यों को विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण ( परिवर्तन ) के मॉडल को अपनाने को कहा गया । इसे ही शॉक थेरेपी कहते है ।
✳️ शॉक थेरेपी की विशेषताएँ :-
🔹 मिल्कियत का प्रमुख रूप निजी स्वामित्व । राज्य की संपदा का निजीकरण ।
🔹 सामूहिक फार्म को निजी फार्म में बदल दिया गया ।
🔹 पूंजीवादी पद्धति से खेती की जाने लगी ।
🔹 मुक्त व्यापार व्यवस्था को अपनाना ।
🔹 मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता ।
🔹 पश्चिमी देशों की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव ।
🔹 पूंजीवाद के अतिरिक्त किसी भी वैकल्पिक व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया गया ।
✳️ शॉक थेरेपी के परिणाम :-
🔹 पूर्णतया असफल , रूस का औद्योगिक ढांचा चरमरा गया ।
🔹रूसी मुद्रा रूबल में गिरावट ।
🔹 समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था नष्ट ।
🔹 सरकारी रियायत खत्म हो गई ज्यादातर लोग गरीब हो गए ।
🔹 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को कम दामों ( औने - पौने ) दामों में बेचा गया जिसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल कहा जाता है ।
🔹 आर्थिक विषमता बढ़ी ।
🔹 खाद्यान्न संकट हो गया ।
🔹 माफिया वर्ग का उदय ।
🔹 अमीर और गरीब के बीच तीखा विभाजन हो गया ।
🔹 कमजोर संसद व राष्ट्रपति को अधिक शक्तियाँ जिससे सत्तावादी राष्ट्रपति शासन ।
✳️ गराज - सेल :-
🔹 शॉक थेरेपी से उन पूर्वी एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई जिनमें पहले साम्यवादी शासन थी |
🔹 रूस में , पूरा का पूरा राज्य - नियंत्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा उठा । लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कंपनियों को बेचा गया ।
🔹 आर्थिक ढाँचे का यह पुनर्निर्माण चूँकि सरकार द्वारा निर्देशित औद्योगिक नीति के बजाय बाजार की ताकतें कर रही थीं , इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को मटियामेट करने वाला साबित हुआ । इसे ' इतिहास की सबसे बड़ी गराज - सेल ' के नाम से जाना जाता है ।
✳️ गराज - सेल जैसी हालात उत्पन्न होने का कारण :-
🔹 महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से कम करके आंकी गई और उन्हें औने - पौने दामों में बेच दिया गया ।
🔹 हालाँकि इस महा - बिक्री में भाग लेने के लिए सभी नागरिकों को अधिकार - पत्र दिए गए थे , लेकिन अधिकांश नागरिकों ने अपने अधिकार पत्र कालाबाजारियों के हाथों । बेच दिये क्योंकि उन्हें धन जरुरत थी ।
🔹 रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में नाटकीय ढंग से गिरावट आई । मुद्रास्पफीति इतनी ज्यादा बढ़ी कि लोगों की जमापूँजी जाती रही ।
✳️ संघर्ष व तनाव के क्षेत्र :-
🔹 पूर्व सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्य संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्र है । इन देशों में बाहरी ताकतों की दखलंदाजी भी बढ़ी है । रूस के दो गणराज्यों चेचन्या और दागिस्तान में हिंसक अलगाववादी आन्दोलन चले । चेकोस्लोवाकिया दो भागों - चेक तथा स्लोवाकिया में बंट गया ।
✳️ बाल्कन क्षेत्र : -
🔹 बाल्कन गणराज्य यूगोस्लाविया गृहयुद्ध के कारण कई प्रान्तों में बँट गया । जिसमें शामिल बोस्निया - हर्जेगोविना , स्लोवेनिया तथा क्रोएशिया ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया ।
✳️ बाल्टिक क्षेत्र : -
🔹 बाल्टिक क्षेत्र के लिथुआनिया ने मार्च 1990 में अपने आप को स्वतन्त्र घोषित किया । एस्टोनिया , लताविया और लिथुआनिया 1991 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने । 2004 में नाटो में शामिल हुए ।
✳️ मध्य एशिया : -
🔹 मध्य एशिया के तज़ाकिस्तान में 10 वर्षों तक यानी 2001 तक गृहयुद्ध चला । अज़रबैजान , अर्मेनिया , यूक्रेन , किरगिझस्तान , जार्जिया में भी गृहयुद्ध की स्थिति हैं । मध्य एशियाई गणराज्यों में पेट्रोल के विशाल भंडार है । इसी कारण से यह क्षेत्र बाहरी ताकतों और तेल कंपनियों की प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा भी बन गया है ।
✳️ पूर्व साम्यवादी देश और भारत :-
🔹 पूर्व साम्यवादी देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे है , रूस के साथ विशेष रूप से प्रगाढ़ है ।
🔹 दोनों का सपना बहुध्रवीय विश्व का है ।
🔹 दोनों देश सहअस्तित्व , सामूहिक सुरक्षा , क्षेत्रीय सम्प्रभुता , स्वतन्त्र विदेश नीति , अन्तराष्ट्रीय झगड़ों का वार्ता द्वारा हल , संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुदृढ़ीकरण तथा लोकतंत्र में विश्वास रखते है ।
🔹 2001 में भारत और रूस द्वारा 80 द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर भारत रूसी हथियारों का खरीददार ।
🔹 रूस से तेल का आयात । परमाण्विक योजना तथा अंतरिक्ष योजना में रूसी मदद ।
🔹 कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ उर्जा आयात बढ़ाने की कोशिश ।
🔹 गोवा में दिसम्बर 2016 में हुए ब्रिक्स ( BRICS ) सम्मलेन के दौरान रूस - भारत के बीच हुए 17 वें वार्षिक सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतीन के बीच रक्षा , परमाणु उर्जा , अंतरिक्ष अभियान समेत आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने एवं उनके लक्ष्यों की प्राप्ति पर बल दिया गया
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