1. शीतयुद्ध का दौर (B-1)

✳️ शीतयुद्ध :- 

🔹 शीतयुद्ध का अर्थ होता है जब दो या दो से अधिक देशो के बीच ऐसी स्थिति बन जाए कि लगे युद्ध होकर रहेगा परंतु वास्तव मे कोई युद्ध न हो। इसमे युद्ध की पूरी संभावना रहती है , युद्ध की आशंका , डर , तनाव , संघर्ष जारी रहता है लेकिन युद्ध नही होता।

🔹 ऐसा अमेरिका तथा सो० संघ के बीच हुआ  

🔹 शीतयुद्ध ( 1945 - 90 ) तक

🔹 द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक की वैश्विक घटनाओं का अध्ययन समकलीन विश्व राजनीति के विषय है । 

✳️ शीतयुद्ध की शुरुआत :- 


🔹 द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही शीत युद्ध की शुरूआत हुई । 


✳️ शीतयुद्ध का अंत :-


🔹 क्यूबा का मिसाइल संकट शीत युद्ध का अंत था | लेकिन इसका प्रमुख कारण सोवियत संघ का विघटन माना जाता है ।


 ✳️  शीतयुद्ध का कारण :-


🔹 ( i ) अमरीका और सोवियत संघ का महाशक्ति बनने की होड़ में एक - दूसरे के मुकाबले खड़ा होना शीतयुद्ध का कारण बना । 

🔹 ( ii ) परमाणु बम से होने वाले विध्वंस की मार झेलना किसी भी राष्ट्र के बस की बात नहीं । 

🔹 ( iii ) दोनों महाशक्तियों परमाणु हथियारों से संपन्न थी , उनके पास इतनी क्षमता के परमाणु हथियार हों कि वे एक - दूसरे को असहनीय क्षति पहुँचा सकते है तो ऐसे में दोनों के रक्तरंजित युद्ध होने की संभावना कम रह जाती है । 

🔹 ( iv ) एक दुसरे को उकसावे के वावजूद कोई भी राष्ट्र अपने नागरिकों पर युद्ध की मार नहीं देखना चाहता था | 

🔹 ( v ) दोनों राष्ट्रों के बीच गहन प्रतिद्वंदिता | 


✳️  शीतयुद्ध एक विचारधारा की लड़ाई :-


🔹 अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचारधाराओ की लड़ाई से तातपर्य है कि - दुनिया में आर्थिक , सामाजिक जीवन को सूत्र बद्ध करने का सबसे सबसे अच्छा सिद्धान्त कौन सा है । 

🔹 अमेरिका ऐसा मानता था कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए बेहतर है जबकि सोवियत संघ मानता था कि समाजवादी , साम्यवादी अर्थव्यवस्था बेहतर है । 


👉 पूंजीवाद :- सरकार का हस्तक्षेप कम होता है , व्यापार अधिक , निजी व्यवस्था 

👉 समाजवाद :-  सारी व्यवस्था सरकार के हाथ मे होती हैं, निजी व्यवस्था का विरोध होता हैं।



👉 प्रथम विश्व युद्ध - 1914 से 1918 तक  👈

👉 द्वितीय विश्व युद्ध - 1939 से 1945 तक 👈


                           ⬇️⬇️

🔷 द्वितीय विश्व युद्ध के गुट 🔷

✳️(1) मित्र राष्ट्र - द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ , फ्रांस , ब्रिटेन संयुक्त राज्य अमेरिका को विजय मिली इन्ही तीनों राष्ट्रों को संयुक्त रूप से मित्र राष्ट्र के नाम से जाना जाता है ।

✳️(2)धुरी राष्ट्र - जिन राष्ट्रों को द्वितीय विश्व युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था उन्हें धुरी राष्ट्र के नाम से जाना जाता है । ये राष्ट्र थे जर्मनी , जापान , इटली । 

✳️  द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत :- 


🔹 द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत अगस्त 1945 में अमरीका ने जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराये और जापान को घुटने टेकने पड़े । इसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध का अंत हुआ । 

🔹 बमो के कूट नाम :-

👉 1 . लिटिल बॉय ( little boy )

👉 2 . फैट मैन ( Fat Man )

🔹 बमो की छमता = 15 से 21 किलो टन

✳️ अमेरिका की आलोचना = अमरीका इस बात को जानता था कि जापान आत्मसमर्पण करने वाला है । ऐसे में बम गिरने की आवश्यकता नही थी।


✳️ अमेरिका ने अपने पक्ष में कहाअमरीका के समर्थकों का तर्क था कि युद्ध को जल्दी से जल्दी समाप्त करने तथा अमरीका और साथी राष्ट्रों की आगे की जनहानि को रोकने के लिए परमाणु बम गिराना जरूरी था ।


✳️ हमले के पीछे उद्देश्य = वह सोवियत संघ के सामने यह भी जाहिर करना चाहता था कि अमरीका ही सबसे बड़ी ताकत है।


✳️ क्यूबा मिसाइल संकट :-


🔹 क्यूबा एक छोटा सा द्वपीय देश जो कि अमेरिका के तट से लगा है । यह नजदीक तो अमेरिका के है लेकिन क्यूबा का जुड़ाव सोवियत संघ से था और सोवियत संघ उसे वित्तीय सहायता देता था । 

🔹 सोवियत संघ के नेता नीकिता खुश्चेव ने क्यूबा को रूस के ' सैनिक अड्डे ' के रूप में बदलने का फैसला किया । 1962 में उन्होंने क्यूबा को रूस के सैनिक अड्डे के रूप में बदल दिया। 

🔹 1962 में खुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दीं । इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमरीका नजदीकी निशाने की सीमा में आ गया । हथियारों की इस तैनाती के बाद सोवियत संघ पहले की तुलना में अब अमरीका के मुख्य भू - भाग के लगभग दोगुने ठिकानों या शहरों पर हमला कर सकता था । 

🔹 अमेरिका को इसकी खबर 3 हफ्ते बाद लगी। अमेरिका ने अपने जंगी बेड़ों को आगे कर दिया ताकि क्यूबा की तरफ जाने वाले सोवियत जहाजों को रोका जाए | इन दोनो महाशक्तियों के बीच ऐसी स्थिति बन गई कि लगा कि युद्ध होकर रहेगा | इतिहास में इसी घटना को क्यूबा मिसाइल संकट के नाम से जाना जाता है ।

👉 क्यूबा मिसाइल संकट को शीतयुद्ध का चरम बिंदु भी कहा जाता है । क्योंकि पहली बार दो बड़ी महाशक्तिया आमने सामने थी।

✳️ दो - ध्रुवीय विश्व का आरम्भ :- 


🔹 दोनों महाशक्तियाँ विश्व के विभिन्न हिस्सों पर अपने प्रभाव का दायरा बढ़ाने के लिए तुली हुई थीं । दुनिया दो गुटों के बीच बहुत स्पष्ट रूप से बँट गई थी । ऐसे में किसी मुल्क के लिए एक रास्ता यह था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी एक महाशक्ति के साथ जुड़ा रहे और दूसरी महाशक्ति तथा उसके गुट के देशों के प्रभाव से बच सके । 


✳️  पश्चिमी यूरोप :- 

🔹 पश्चिमी यूरोप के अधिकतर देशों ने अमरीका का पक्ष लिया | इन्ही देशों के समूह को पश्चिमी गठबंधन कहते हैं । इस गठबंधन में शामिल देश है - ब्रिटेन , नार्वे , फ्रांस , पश्चिमी जर्मनी , स्पेन , इटली और बेल्जियम आदि |


✳️  पूर्वी यूरोप :- 


🔹 पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश सोवियत गठबंधन में शामिल हो गया | इस गठबंधन को पूर्वी गठबंधन कहते है । इसमें शामिल देश हैं - पोलैंड , पूर्वी जर्मनी , हंगरी , बुल्गारिया , रोमानिया आदि ।


✳️  नाटो ( NATO ) :- 


🔹 पश्चिमी गठबन्धन ने स्वयं को एक संगठन का रूप दिया । अप्रैल 1949 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ( नाटो ) की स्थापना हुई । जिसमें 12 देश शामिल थे । 

🔹 इस संगठन ने घोषणा की कि उत्तरी अमरीका अथवा यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर भी हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे | और नाटो में शामिल हर देश एक दुसरे की मदद करेगा ।

 उदेश्य : अमरीका द्वारा विश्व में लोकतंत्र को बचाना | 


✳️  वारसा संधि :- 


🔹 सोवियत संघ की अगुआई वाले पूर्वी गठबंधन को वारसा संधि के नाम से जाना जाता है | इसकी स्थापना सन् 1955 में हुई थी और इसका मुख्य काम ' नाटो ' में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करना था । 

✳️  महाशक्तियों के लिए छोटे देश का महत्व :- 


🔹 ( i ) महत्त्वपूर्ण संसाधनों - जैसे तेल और खनिज के लिए । 

🔹 ( ii ) भू - क्षेत्र - ताकि यहाँ से महाशक्तियाँ अपने हथियारों और सेना का संचालन कर सके । 

🔹 ( iii ) सैनिक ठिकाने - जहाँ से महाशक्तियाँ एक - दूसरे की जासूसी कर सके ।

🔹 ( iv ) आर्थिक मदद - जिसमें गठबंधन में शामिल बहुत से छोटे - छोटे देश सैन्य - खर्च वहन करने में मददगार हो सकते थे । 

🔹 ( v ) विचारधारा - गुटों में शामिल देशों की निष्ठा से यह संकेत मिलता था कि महाशक्तियाँ विचारों का पारस्परिक युद्ध जीत रही हैं । 

🔹 ( vi ) गुट में शामिल हो रहे देशों के आधार पर वे सोंच सकते थे कि उदारवादी लोकतंत्र और पूँजीवाद , समाजवाद और साम्यवाद से कही बेहतर है । 


✳️  शीतयुद्ध के परिणाम :- 


🔹 ( i ) गुटनिरपेक्ष देशों का जन्म | 

🔹 ( ii ) अनेक खूनी लडाइयों के वावजूद तीसरे विश्वयुद्ध का टल जाना | 

🔹 ( iii ) अनेक सैन्य संगठन संधियाँ 

🔹 ( iv ) दोनों महाशक्तियों के बीच परमाण जखीरे और हथियारों की होड़ 

🔹 ( v ) दो ध्रुवीय विश्व 

👉 अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए दोनों ही महाशक्तियों ने अन्य देशों के साथ संधियाँ की ।


✳️  दोनों महाशक्तियों द्वारा परमाणु जखीरे एवं हथियारों की होड़ कम करने के लिए सकारात्मक कदम - 

🔹 ( i ) परमाणु परिक्षण प्रतिबन्ध संधि 
🔹 ( ii ) परमाणु अप्रसार संधि 
🔹 ( iii ) परमाणु प्रक्षेपास्त्र परिसीमन संधि ( एंटी बैलेस्टिक मिसाइल ट्रीटी )

✳️ SEATO , CENTO के बारे में बतायो:- 

अमरीका ने पूर्वी और द . पू . एशिया तथा पश्चिम एशिया मे गठबंधन का तरीका अपनाया इन्ही गठबन्धनो को SEATO , CENTO कहा गया । 

👉  SEATO :- south - East Asian Treaty organization ( दक्षिण पूर्व एशियाई संधि संगठन )

👉  CENTO :- Central Treaty Organization ( केन्द्रीय संधि संगठन )

इसके बाद सो संघ ने चीन , उ . कोरिया , वियतनाम इराक से संबंध मज़बूत किये । 

✳️ गुटनिरपेक्षता :- गुटनिरपेक्षता का अर्थ सभी गुटों से अपने को अलग रखना है । 

✳️  गुटनिरपेक्ष आन्दोलन :- 

🔹 शीतयुद्ध के दौरान दो महाशक्तियों के तनाव के बीच एक नए आन्दोलन ने जन्म लिया जो दो ध्रुवीयता में बंट रहे देशों से अपने को अलग रखने के लिए था जिसका उदेश्य विश्व शांति था | इस आन्दोलन का नाम गुटनिरपेक्ष आन्दोलन पड़ा । गुटनिरपेक्ष आन्दोलन महाशक्तियों के गुटों में शामिल न होने का आन्दोलन था | परन्तु ये अंतर्राष्ट्रीय मामलों से अपने को अलग - थलग नहीं रखना था अपितु इन्हें सभी अंतर्राष्ट्रीय मामलों से सरोकार था । 

✳️  गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना :- 

🔹 सन् 1956 में युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रांज टीटो , भारत के जवाहर लाल नेहरू और मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर ने एक सफल बैठक की | जिससे गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का जन्म हुआ । 

✳️  गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक नेताओं के नाम :- 

( i ) जोसेफ ब्रांज टीटो - युगोस्लाविया 
( ii ) जवाहर लाल नेहरू - भारत 
( iii ) गमाल अब्दुल नासिर - मिस्र 
( iv ) सुकर्णों - इंडोनेशिया 
( v ) वामे एनक्रुमा - घाना

✳️ प्रथम गुटनिरपेक्ष सम्मलेन :- 

👉 1961 में बेलग्रेड में हुआ | इसमें 25 सदस्य देश शामिल हुए । 

✳️  14 व गुटनिरपेक्ष  सम्मलेन:-

👉 2006 क्यूबा ( हवाना ) में 166 सदस्य देश और 15 पर्यवेक्षक देश शामिल हुए । 

✳️शस्त्र नियंत्रण संधियाँ : 

1️⃣🔹L . T . B . T . सीमित परमाणु परीक्षण संधि - 5 अगस्त 1963 

2️⃣🔹SALT सामारिक अस्त्र परिसीमन वार्ता - 1 ) 26 मई 1972.                                                                            2 ) 18 जून 1972 

3️⃣🔹START - सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि - 1 ) 31 जुलाई 1991                                                                        2 ) 3 जनवरी 1993 

4️⃣🔹 N . P . T . - परमाणु अप्रसार संधि - 1 जुलाई 1968 

( पांच परमाणु सम्पन्न देश ही परमाणु परीक्षण कर सकते थे अन्य देश नहीं । )